मशहूर यूट्यूबर और बिग बॉस ओटीटी 2 के विजेता एल्विश यादव के गुरुग्राम स्थित घर पर आज सुबह रविवार (17 अगस्त, 2025) को 24 राउंड फायरिंग हुई है। ये घाटना सुबह के 5:30 से 6 बजे के बीच की बताई जा रही है।
घटना से संबंधित एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें ये साफ तौर पर दिख रहा है कि एक मोटर साइकिल पर सवार होकर 3 नकाबपोश आदमी आए थे और उन्होंने एल्विश यादव के घर पर तबर तोर फायरिंग करने लगे। जिस में से एक बंदूकधारी ने मुख्य गेट पर आकर घर के अंदर भी कुछ राउंड फायरिंग की है।
हालाँकि, एल्विश यादव के पिता ने यह पुष्टि की है कि इस घटना में किसी को चोट नहीं आई है। उनको ने ये भी बताया कि मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव उस समय किसी काम से हरियाणा से बाहर थे।
तीनों लोग तुरंत मौके से फरार हो गए।
घटना के कुछ घंटों बाद, कुख्यात हिमांशु भाऊ गिरोह ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में गोलीबारी की ज़िम्मेदारी लेते हुए, यूट्यूबर पर जुए को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इस पोस्ट में दो बंदूकों का चित्रण और ‘भाऊ गिरोह 2020 से’ लिखा था। इस गिरोह का सरगना पुर्तगाल का भगोड़ा गैंगस्टर हिमांशु भाऊ बताया जा रहा है।
पोस्ट में लिखा था, “आज एल्विश यादव के घर पर जो गोलियाँ चलीं, वे हम, नीरज फ़रीदपुर और भाऊ रिटोलिया ने चलाईं। आज हमने उसे अपना परिचय दिया है। उसने सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देकर कई घर बर्बाद किए हैं। और इन सभी सोशल मीडिया के कीड़ों को, हम चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कोई सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देता हुआ पाया गया, तो उसे कभी भी फ़ोन या गोली लग सकती है। इसलिए जो भी सट्टेबाज़ी में शामिल हैं, तैयार रहें।”
एल्विश यादव के पिता राम अवतार यादव ने ये बताया कि हमने जब सुबह 5:25 बजे को सो रहे थे। गोलियों की आवाज सुन कर हम दौर कर गए और सीसीटीवी फुटेज की जांच की और पाया कि 2 लोग फायरिंग कर रहे थे और तीसरा भी वही था।
हालाँकि, राम अवतार जी ने बताया होगा कि उन्हें या उनके परिवार को किसी भी तरह से धमकी पहले से नहीं मिली है और उनके बेटे एल्विश यादव के किसी भी तरह से जुए की या फिर ऐसे किसी ऐप के प्रमोशन की जानकारी नहीं है।
Zubeen Garg सिर्फ एक गायक नहीं थे, वो एक संपूर्ण कलाकार थे, एक ऐसे कलाकार जिनके लिए भाषा कोई सीमा नहीं थी, उन्हें अलग-अलग भाषाओं में कई सारे गाने दिए गए हैं। 19 सितंबर, 2025 एक ऐसा दिन जिस दिन भारतीय संगीत उद्योग ने अपना एक अनमोल रतन खो दिया। वो एक असम के लोकप्रिय गायक थे। वो इन दिनों सिंगापुर की यात्रा पर थे जब उनकी मौत स्कूबा डाइविंग करते हुए हुई। ये खबर जैसी ही सामने आई शुद्ध देश में सोख का माहोल झा गया। इस साल वह 52 साल के हो गये।
लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग मेघालय के तुरा नाम के शहर में जन्मे थे उनका जन्म 18 नवंबर, 1972 में हुआ था। उनका असली नाम जुबीन बोरठाकुर था। उनका नाम प्रसिद्ध संगीत निर्देशक ज़ुबिन मेहता के नाम पर रखा गया था। बाद में उन्होंने अपने गोत्र “गर्ग” को अपना उपनाम बना लिया। उन्होंने तामुलपुर हायर सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई की और बी. बोरूआ कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई शुरू की, लेकिन संगीत के प्रति जुनून ने उन्हें कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया। जुबीन को संगीत विरासत में मिली थी उनकी मां इली बोरठाकुर एक गायिका थीं और पिता मोहिनी मोहन बोरठाकुर एक कवि और संगीतकार थे, जो “कपिल ठाकुर” नाम से मशहूर थे। जुबिन ने संगीत में रुचि लेना बचपन से ही शुरू कर दिया और असमिया संगीत में अपनी पहचान बना ली।
एक सितारे का उदय
Zubeen Garg की संगीतमय पेशेवर यात्रा 1991 से शुरू हुई जब उन्हें एक युवा महोत्सव में वेस्टर्न सोलो एसोसिएशन के लिए स्वर्ण पदक जीता था। इसी साल उनका पहला असमिया एल्बम अनामिका रिलीज़ हुई, जो सुपरहिट हो रही है।
उनके शुरुआती एल्बमों में शामिल हैं:
सपुनोर सुर (1992)
जुनाकी मन (1993)
माया (1994)
आशा (1995)
बॉलीवुड में अपना करियर बनाने से पहले जुबीन ने पहले बिहू का एल्बम रिलीज किया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ। फ़िर 1995 में वो मुंबई गए और इंडिपॉप एल्बम मैजिक नाइट के साथ हिंदी संगीत में प्रवेश किया।
Zubeen Garg को असल में लोकप्रियता साल 2006 में मिली जब लोकप्रिय फिल्म गैंगस्टर फिल्म का गाना “या अली” रिलीज हुई। इस गाने को लोग आज भी पसंद करते हैं और ये आज भी एक आइकॉनिक गाना है।
उनके अन्य प्रसिद्ध हिंदी गीतों में शामिल हैं:
दिल तू ही बता – क्रिश 3 (2013)
जाने क्या चाहे मन बावरा – प्यार के साइड इफेक्ट्स (2006)
सपने सारे – मुद्दा: द इश्यू (2003)
होली रे – मुंबई से आया मेरा दोस्त (2003)
उन्होंने दिल से, फिजा, कांटे, डोली सजा के रखना जैसी फिल्मों में भी गाया।
Zubeen Garg ने 40 से अधिक भाषाओं और बोलियों में गाया, जिनमें शामिल हैं:
असमिया
हिंदी
बंगाली
बिश्नुप्रिया मणिपुरी
बोडो
अंग्रेज़ी
कन्नड़
मलयालम
मराठी
नेपाली
उड़िया
संस्कृत
तमिल
तेलुगु
बंगाली संगीत में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उन्होंने इन फिल्मों में गाया:
मन
शुधु तुमी (संगीत निर्देशक भी)
प्रेमी
चिरोदिनी तुमी जे आमार
मन माने ना
रोमियो
परान जाए जोलिया रे
पागली तोरे राखबो आदोरे
बहु-वाद्य यंत्रों के उस्ताद
Zubeen Garg एक ऐसे कलाकार थे जो न सिर्फ गाते थे, बल्कि कई वाद्य यंत्र भी बजाते थे। उन्होंने 12 से अधिक वाद्ययंत्रों में महारत हासिल की थी:
तबला
कीबोर्ड
हारमोनियम
ड्रम
ढोल
गिटार
मांडोलिन
डोटारा
हारमोनिका
आनंदलहरी
उनकी संगीत शैली पारंपरिक और आधुनिक ध्वनियों का सुंदर मिश्रण थी।
व्यक्तिगत जीवन और दुखद घटनाएँ
Zubeen Garg ने एक फैशन डिजाइनर गरिमा से 4 फरवरी, 2002 को सादी की। उन दोनों के बीच में बहुत प्यार था और वो प्रोफेशनली भी एक दूसरे की मदद करते थे।
2002 में ही उनके साथ एक दुख घातक भी था, जब उनकी छोटी बहन जोंकी बोरठाकुर का एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, वो भी अभिनेत्री और गायिका थी। जुबीन ने अपनी बहन को श्रद्धांजलि देते हुए एक एल्बम जारी किया, जो बेहद भावुक और लोकप्रिय रही।
पुरस्कार और सम्मान
Zubeen Garg को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। उन्हें असम में “लुइटकंठो” (ब्रह्मपुत्र की आवाज़) और “गोल्डी” जैसे उपनामों से जाना जाता था। वे असम के सबसे अधिक पारिश्रमिक पाने वाले गायक थे और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व थे।
Zubeen Garg के यादगार गीत
भाषा
गीत का नाम
फिल्म/एल्बम
हिंदी
या अली
गैंगस्टर (2006)
हिंदी
दिल तू ही बता
क्रिश 3 (2013)
हिंदी
जाने क्या चाहे मन बावरा
प्यार के साइड इफेक्ट्स (2006)
असमिया
अनामिका
अनामिका (1992)
असमिया
मायाबिनी रातिर बुकुत
दाग (2001)
असमिया
ओ मोर अपनार देश
देशभक्ति गीत
बंगाली
चिरोदिनी तुमी जे आमार
बंगाली फिल्म
बंगाली
शुधु तुमी
बंगाली फिल्म
ज़ुबिन गर्ग सिर्फ एक गायक नहीं थे—वो एक भावनाओं के चितेरे थे। उनकी आवाज़ में आत्मा थी, और उनके गीतों में जीवन। वे चले गए, लेकिन उनकी धुनें आज भी हमारे दिलों में गूंजती हैं।
Zubeen Garg की मौत पर लोगों की प्रतिक्रिया
ज़ुबीन गर्ग के निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों, संगीत प्रेमियों और कलाकारों को गहरे सदमे में डाल दिया। सोशल मीडिया पर #ZubeenGarg और #RIPZubeen ट्रेंड करने लगे। असम में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, मोमबत्ती मार्च निकाले गए और उनके गीतों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
प्रमुख प्रतिक्रियाएं
शंकर महादेवन: “ज़ुबीन एक सच्चे कलाकार थे। उनका संगीत दिल से निकलता था। यह एक अपूरणीय क्षति है।”
असम सरकार ने उन्हें राज्य के सर्वोच्च सांस्कृतिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित करने की घोषणा की।
प्रशंसकों ने उनके घर के बाहर फूल, पोस्टर और गीतों की रिकॉर्डिंग रखकर उन्हें अंतिम विदाई दी।
ज़ुबीन गर्ग की विरासत
ज़ुबीन गर्ग सिर्फ एक गायक नहीं थे—वो एक आंदोलन थे। उन्होंने असमिया संस्कृति को देशभर में पहचान दिलाई। उनकी बहुभाषी प्रतिभा, सामाजिक सरोकारों में भागीदारी और युवाओं के लिए प्रेरणा आज भी जीवित है।
उनकी मौत ने संगीत जगत को झकझोर दिया है, लेकिन उनकी धुनें, गीत और यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
निष्कर्ष:
“संगीत जगत का बड़ा नुकसान: ज़ुबीन गर्ग की मौत पर लोगों की प्रतिक्रिया” सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सच्चाई है। ज़ुबीन गर्ग ने जो संगीत दिया, वह अमर है। उनकी आवाज़, उनकी शैली और उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।