टिकटॉक की शानदार वापसी: क्या फिर से बदल जाएगी भारतीय सोशल मीडिया का ट्रेंड?

EDITED BY: Sanjeet

UPDATED: Saturday, August 23, 2025

Tiktok

तक़रीबन 5 साल पहले टिकटॉक के साथ-साथ और कई सारे चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तब करोड़ों यूजर्स के लिए ये एक झटका से कम नहीं था। बहुत सारे कंटेंट क्रिएटर्स, इन्फ्लुएंसर्स के करियर को बहुत बड़ा झटका सा लगा था, साथ ही बहुत सारे यूजर्स के मनोरंजन का साथ भी बंद हुआ था। पर और अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि टिकटॉक की वेबसाइट फिर से शुरू हो गई है, हालाकी और सरकार की तरफ से कोई पक्की खबर नहीं आई है।- क्या टिकटॉक फिर से भारतीय सोशल मीडिया का ट्रेंड बदलने वाला है।

क्या टिकटॉक की वापसी एक अफवाह है या एक सच्चाई है?

कुछ समय पहले तक कुछ यूजर्स टिकटॉक की वेबसाइट को वीपीएन के द्वार ओपन करते हैं। पर और उन्हें आपने दावा किया है कि आप इन वेबसाइटों पर किसी वीपीएन का भी उपयोग कर सकते हैं। इस से ये खबरें तेज हो रही हैं कि बाइटडांस जो टिकटॉक की पैरेंट कंपनी है वो फिर से इंडिया में अपनी एंट्री की तैयारी कर रहा है। हालाकि अब तक सरकार की तरफ से ऐप पर बैन हटाने का कोई भी बयान नहीं आया है। टिकटॉक ऐप अब गूगल प्ले पर ऐप्पल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है। उपयोगकर्ता एवी ना तो लॉगिन कर पा रहे हैं आ हाय वीडियो अपलोड कर पा रहे हैं।

फिर भी वेबसाइट का एक्टिव होना और हाल ही में भारत चीन के रिश्ते में आई नरमी ने यूजर्स के अंदर टिकटॉक की वापसी की उम्मीद जगा दी है।

टिकटॉक का असर: एक क्रांति जिसने सब कुछ बदल दिया

टिकटॉक ने भारत में शॉर्ट वीडियो स्टोरी को एक नई पहचान दी थी।

• 200 मिलियन से अधिक तस्वीरें

• लेकर शहरों से लेकर क्रिएटर्स तक

• लोकोमोटिव को वैश्विक मंच

टिकटॉक ने ना के शॉर्ट वीडियो को इंट्रोड्यूस किया बाल्की हमें एंटरटेनमेंट का तरीके को बदला, डिजिटल मार्केटिंग और ब्रांडिंग के तरीको को बदला है और ना जाने कितने क्रिएटर्स/इन्फ्लुएंसर्स को कामयाब बनाया है।

एसईओ परिप्रेक्ष्य: टिकटॉक पर वापसी क्यों है?

इस विषय पर गूगल पर ट्रेंड कर रहे हैं कीवर्ड्स:

• टिकटॉक इंडिया रिटर्न 2025

• क्या टिकटॉक भारत में वापस आ रहा है?

• भारत में टिकटॉक बैन अपडेट

• बाइटडांस इंडिया समाचार

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क्या है क्रिएटर्स की उम्मीद और चुनौतियाँ

टिकटॉक की वापसी की खबर ने उन लाखो क्रिएटर्स की उम्मीद को फिर से जिंदा कर दिया है, जिन लोगो का अकाउंट टिकटॉक पर था और जो इसके बैन होने के बाद इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पर शिफ्ट हो गए थे।

• कई क्रिएटर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी पहली वीडियो टिकटॉक पर ही बनाई थी बाद में वो इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स पे रील्स बनाने लगे।

• कुछ ऐसे क्रिएटर्स भी हैं जिनकी टिकटॉक से कमाई शुरू हुई थी और आगे जाकर वो अच्छे पैसे कमाने लगेंगे।

• काई ऐसे छोटे गाओ और शेरो के लोग ऐसे भी जिनको टिकटॉक ने एक नई पहचान दी।

आज जब कुछ रचनाकारों को टिकटॉक वापस आने की उम्मीद जगी है तो उनके अंदर अपने अधूरे सपने को पूरा करने की भी उम्मीद जगी है, उनके लिए ये सिर्फ एक ऐप नहीं है

मार्केट ट्रेंड: क्या टिकटॉक फिर से वही पोजीशन

टिकटॉक पर बैन लगाने से पहले ये बहुत लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हुआ करता था। पर इसपे बैन लगाने के बाद दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट वीडियो और एमओजे जैसे प्लेटफॉर्म भी एक्टिव हुए हैं। अगर टिकटॉक और भारतीय बाजार में वापसी होती है तो उसके लिए बाजार बहुत चुनौतीपूर्ण है। हलाकि ये तो आने वाला टाइम हो बताएगा कि क्रिएटर्स का व्यवहार टिकटॉक के प्रति क्या होगा।

अगर टिकटॉक पर वापसी होती है:

• ब्रांड के लिए ये एक और प्लेटफॉर्म होगा मार्केटिंग के लिए।

• बहुत सारे नए प्रभावशाली लोगों को नया मौका मिलेगा

• शॉर्ट वीडियो ट्रेंड में फिर से एक क्रांति आएगी।

डेटा सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।

2020 में टिकटॉक पर लगे बैन का मुकाबला करना था राष्ट्र सुरक्षा और डेटा गोपनीयता। भारत सरकार का ये आरोप है कि टिकटॉक और उनके जैसी दूसरी चीनी ऐप भारतीय यूजर्स का डेटा चीन भेज रही है।

अगर टिकटॉक इंडिया में वापसी होती है तो उन्हें किन बातों का ध्यान रखना होगा:

• इंडियन में एक डाटा सेंटर बनना होगा जो कि इंडियन का महत्वपूर्ण डाटा चाइन ना भेजा और वो सुरक्षित भी हो।

• भारत सरकार के साथ पूरी पारदर्शिता रखनी होगी

• उपयोगकर्ता और उन्हें किसी भी गोपनीयता को महत्व देना होगा।

टिकटॉक की वापसी पर निष्कर्ष: एक नई शुरुआत या पूरी गलती

बाइट डांस की वापसी अगर भारत में होती है, जो टिकटॉक की पैरेंट कंपनी है, तो ये ना सिर्फ एक ऐप की वापसी होगी बल्कि ये एक प्लेटफॉर्म और एक मौके की वापसी होगी, जब मेकटिंग और कैरर बनने की मौके होंगे। पर महत्वपूर्ण ये भी है कि यूजर्स का डेटा सुरक्षित रहे। इसके लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि हमें भी पता होना चाहिए, जरूरी है कि हम अपना कोई भी डेटा शेयर ना करें।

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Amitabh Bachchan – एक जीवन, काई किस्से: द लाइफ बिहाइंड द लेजेंड

EDITED BY: Sanjeet

UPDATED: Tuesday, October 14, 2025

Amitabh Bachchan

जब भी कोई भारतीय सिनेमा का नाम लेगा तो उसके जहां में Amitabh Bachchan का नाम खुद पर खुद आना सामान्य है। उनके चाहने वालों ने उन्हें प्यार की इल्वा कुछ नाम भी दिया है जैसे सहांशा, एंग्री यंग मैन, बिग बी। लेकिन क्या कोई जनता है कि टाइटल के पीछे उनका क्या स्ट्रगल छिपा हुआ है, अपने जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। आइये जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ और बातें।

प्रारंभिक जीवन और परिवार

Amitabh Bachchan मूल रूप से इलाहबाद (प्रयागराज) के निवासी हैं। जिनका जन्म 11 अक्टूबर, 1942 को हुआ था। उनके पिता हरिवंश राय बच्चन एक लोकप्रिय हिंदी कवि थे और माता तेजी राय बच्चन एक समाज सेविका थीं। इनका सुरुआती सरनेम श्रीवास्तव हुआ करता था पर हरिवशराय बच्चन ने इसे बदल कर बच्चन रख लिया था।

Amitabh Bachchan को बचपन से ही साहित्य और कला का माहोल मिला जिस ने उनके अंदर एक गहरी छाप छोरी है।

संघर्ष के दौरान:

Amitabh Bachchan के लिए सिनेमा जगत में घुसना इतना आसान भी नहीं था। उनकी एक अलग पर्सनैलिटी थी जिसमें लंबी ऊंचाई, गहरी और बोल्ड आवाज थी और इसी वजह से उन्हें बहुत सारा ऑडिशन से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था, यहां तक ​​कि ऑल इंडिया रेडियो (AIR) ने भी उनकी आवाज के कारण से उन्हें रिजेक्ट कर दिया था।

वर्ष 1969 में उनको पहली बार अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका “सात हिंदुस्तानी” से मिला पर सुरुआती किस्मत अच्छी नहीं रही और उनकी ये फिल्म असफल रही। आने वाले कुछ साल भी कुछ ठीक नहीं रहे और उनकी सारी फिल्मों को नाकामी का सामना करना पड़ेगा।

एंग्री यंग मैन का उदय:

सालो की नाकामी के बाद साल 1973 में Amitabh Bachchan की एक और फिल्म आई जिसका नाम “जंजीर” था, और इस फिल्म ने सब कुछ बदल कर रख दिया। Amitabh Bachchan की ये फिल्म सुपरहिट हुई। इशी फिल्म ने इन्हें “एंग्री यंग मैन” का टाइटल दिया। जिस समय भारतीय युवाओं में भ्रष्टाचार और अन्याय से जूझ रहा था उसी समय युवाओं की आवाज में Amitabh Bachchan की फिल्म बन गई।

इस सिनेमा के बाद जैसे Amitabh Bachchan के दिन ही बदल गए। उन्हें एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी। इनमें से कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनके कुछ डायलॉग्स आज भी लोगो के दिलों में बसे हुए हैं।

  • दीवार (1975) – “आज मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, दौलत है…”
  • शोले (1975) – जय का शांत लेकिन गहरा किरदार।
  • अमर अकबर एंथनी (1977) – कॉमिक टाइमिंग का शानदार उदाहरण।
  • डॉन (1978) – “डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।”

मौत से जंग – कूली हादसा

1982 में रिलीज हुई “कुली” फिल्म को सब ने बहुत प्यार दिया था। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान Amitabh Bachchan के साथ एक गंभीर दुर्घटना हुई थी, जिस में उन्हें बहुत चोट आई थी और उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी। मंदिर, मस्जिद हर क्षेत्र के लोग अपना धर्म भूल कर उनकी सलामती की खातिर ऊपर वाले से दुआ मांग रहे थे। कुछ दिनों के चले इलाज के बाद जब वो स्वस्थ हो कर आए तो उनके प्रशंसकों में खुशी के लहर दौर परी, क्योंकि ये सिर्फ उनकी नहीं बल्कि पूरे देश की जीत थी।

असफलता और पुनर्जन्म

पर वो कहा जाता है ना कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता है। 1973 – 1978 तक एक के बाद एक सुपरहिट देने के बाद कुछ दिन इनके जीवन में ऐसे भी आये जब इन्हें पतन का भी सामना करना पड़ा। एक के बाद एक उनकी फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, यहां तक ​​कि उनकी कंपनी। ABCL (Amitabh Bachchan कॉर्पोरेशन लिमिटेड) भी डूब गई और वह वित्तीय संकट में आ गई। हेटर्स ने कहा कि अब उनका दौर ख़तम हो गया है।

लेकिन साल 2000 में Amitabh Bachchan ने एक और शो शुरू किया जिसका नाम रखा “कौन बनेगा करोड़पति (KBC)”। उनकी एकजुटता, सादगी और ज्ञान ने उन्हें हर घर का सदस्य बनाया और उन्हें एक नई पहचान दी।

उम्र को मात देने वाला कलाकार

60, 70 और अब 80 की उम्र में भी वे लगातार शानदार भूमिकाएं निभा रहे हैं:

  • मोहब्बतें (2000) – सख्त लेकिन भावुक नारायण शंकर।
  • ब्लैक (2005) – एक शिक्षक की अविस्मरणीय भूमिका।
  • पा (2009) – प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चे का किरदार।
  • पिंक (2016) – “नो मीन्स नो” संवाद ने समाज को झकझोरा।

गुलाबो सिताबो (2020) – प्रयोगधर्मी और अनोखा अभिनय।

पर्दे के पीछे का इंसान

Amitabh Bachchan सिर्फ़ अभिनेता ही नहीं हैं। वे एक महान हस्ती और प्रेरणास्रोत हैं। उनकी अनुशासनप्रियता, समय की पाबंदी और विनम्रता आज भी प्रेरणा देती है।

वो आज भी हर दिन ब्लॉग लिखते हैं और अपने सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। इतना सब कुछ करने के बाद भी वो अपने प्रशंसकों को नहीं भूलते हैं, उनके प्रशंसकों से ये लगाव ही उन्हें एक सुपरस्टार से अलग बनाता है।

पुरस्कार और सम्मान

  • पद्मश्री (1984)
  • पद्मभूषण (2001)
  • पद्मविभूषण (2015)
  • दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (2018)

इसके अलावा उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिला है, जैसे फ्रांस का लीजन ऑफ ऑनर।

वैश्विक पहचान:

Amitabh Bachchan भारतीय सिनेमा से बिल्कुल अलग हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता हमें सिर्फ भारतीय में ही देखने को मिलेगी क्योंकि उनकी लोकप्रियता रूस, मिस्र, लंदन, सिडनी जैसे देशों में भी देखने को मिलती है।

क्यों हैं वे खास?

Amitabh Bachchan को उनका संघर्ष और भी खास बना देता है। बार-बार फेल होने के कारण उनका दोबारा उठ कर खरा होना ही उन्हें एक रियल हीरो बनाता है।

वे भारतीय आत्मा का प्रतीक हैं – गिरकर भी उठना, हारकर भी जीतना।

निष्कर्ष:

Amitabh Bachchan का जीवन सिर्फ एक अभिनेता की कहानी नहीं है, बल्कि भारत की कहानी है – संघर्ष, सपनों और पुनर्जन्म की।

सात हिंदुस्तानी से लेकर शोले, दिवालियापन से लेकर KBC, मौत से जंग से लेकर वैश्विक स्टारडम तक – उनका सफर बताता है कि लीजेंड पैदा नहीं होते, वे बनाए जाते हैं।

Frequently Asked Questions:

1. Amitabh Bachchan का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Amitabh Bachchan का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था।

2. Amitabh Bachchan के माता-पिता कौन थे?

उनके पिता हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिंदी कवि थे और माता तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं।

3. Amitabh Bachchan को “एंग्री यंग मैन” क्यों कहा जाता है?

1973 की फिल्म ज़ंजीर से उन्होंने एक ऐसे नायक का किरदार निभाया जो भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है। इस छवि ने उन्हें एंग्री यंग मैन की उपाधि दिलाई।

4. कौन-सी फिल्म के दौरान Amitabh Bachchan को गंभीर चोट लगी थी?

1982 में फिल्म कूली की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लगी थी। उस समय पूरा देश उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था।

5. Amitabh Bachchan ने टीवी पर कब वापसी की?

2000 में उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति (KBC) से टीवी पर कदम रखा। इस शो ने उन्हें हर घर का सदस्य बना दिया और उनके करियर को नया जीवन दिया।

6. Amitabh Bachchan को कौन-कौन से प्रमुख पुरस्कार मिले हैं?

पद्मश्री (1984)
पद्मभूषण (2001)
पद्मविभूषण (2015)
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (2018)

7. Amitabh Bachchan की सबसे यादगार फिल्में कौन-सी हैं?

दीवार, शोले, डॉन, अमर अकबर एंथनी, ब्लैक, पा, पिंक और गुलाबो सिताबो उनकी यादगार फिल्मों में शामिल हैं।

8. क्या Amitabh Bachchan आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं?

हाँ, 80 वर्ष की उम्र पार करने के बाद भी वे फिल्मों और विज्ञापनों में सक्रिय हैं और लगातार नए प्रयोग करते रहते है।

9. Amitabh Bachchan को “बिग बी” क्यों कहा जाता है?

उनके नाम के शुरुआती अक्षर B (Bachchan) से उन्हें प्यार से Big B कहा जाने लगा। यह उपनाम अब उनकी पहचान बन चुका है।

10. Amitabh Bachchan का जीवन हमें क्या सिखाता है?

उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष, असफलता और कठिनाइयाँ सफलता की राह का हिस्सा हैं। गिरकर भी उठना और हर बार खुद को नया रूप देना ही असली जीत है।

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