निसानका में दर्शकों ने एक बोहोत ही रोमनचक मैच का नजारा देखा जहां जज्बा, धैर्य और क्रिकेट का असली रंग देखने को मिला
निसांका के हरारे स्टेडियम में जो मैच 31 अगस्त 2025 को है, को जो मैच ज़िम्बाबे और श्रीलंका के बीच में दूसरा ओनडे मैच खेला गया है उसमें क्रिकेट प्रेमियों को ऐसा सीन देखने को मिला है जिसे वो बहुत लंबे समय तक भूल नहीं सकते। ये एक मैच का विवरण नहीं है जो कि हरारे में खेला गया बल्कि एक क्रिकेटर का धैर्य, टीम भावना और अपने खेल के प्रति उसका प्यार है।
श्रीलंका ने इन मैचों में 5 विकेट से जीत हासिल की है। जिम्बाब्वे को हरा कर श्रीलंका ने वनडे सीरीज में 2-0 का स्कोर बनाया है। लेकिन इस मैच में जीत का असली क्रेडिट जाता है पथुम निसांका जिन्हों ने 122 रनों की पारी खेली और टीम को जीत दिलायी।
पहली पारी: जिम्बाब्वे ने की शुरुआत
दोनों टीमो के बीच टॉस हुआ तो ज़िम्बाबे ने टॉस जीत कर बैटिंग करने का फैसला लिया। टीम के तरफ से पहले बल्लेबाजी करने आये ब्रायन बेनेट और बेन करेन। इन डोनो ने मिल कर टीम को एक अच्छी शुरुआत दी और डोनो ने मिल कर करीब 100 रन की पारी खेली। उसके बाद मिडिल ऑर्डर में अलेक्जेंडर रजा ने 59 रन बनाए थे। दिन ख़तम होने तक ज़िम्बाब्वे का स्कोर 277 रन जो कि उन्होन 50 रन थे मेरे ऊपर 7 विकेट खो कर बनाया था।
श्रीलंका के तरफ से दुष्मंथा चमीरा ने जिंबाबे के 3 विकेट लिए और असिथा फर्नांडो ने 2 विकेट लिए।
निसांका की गेम रणनीति:
जिंबाबे ने 277 रन का लक्ष्य दिया था। श्रीलंका को जितने के लिए 278 रन बनाने थे. श्रीलंका टीम जब मैदान में उतरी तो उनकी सुरुआत कुछ खास नहीं रही। नुवानिडु फर्नांडो और कुसल मेंडिस जैसे बल्लेबाज जल्दी आउट हो कर पैवेलियन लौट गए, उस समय श्रीलंका की टीम का स्कोर महज 68 रन बराबर 2 विकेट था। पर उसके बाद मैदान में आये पथुम निसांका जिन्होंन मैच का रुख ही बदल दिया।
पथुम निसांका और उनके साथ बैटिंग कर रहे शतक समरविक्रम ने मिल कर तीसरे विकेट के लिए 78 रन जोड़े। तीसरे विकेट के रूप में जब श्रीलंका ने सर्वश्रेष्ठ समरविक्रम को आउट किया, उसके बाद निसांका का साथ देने उतरे कप्तान चरित असलंका। डोनो ने मिल कर 90 रन की पार्टनरशिप की। निसांका ने कुल 136 गेंदों में 16 चौके मारे, जिसकी मदद से उन्होंने 122 रन बनाए। उनकी इस पारी ने मैच का रुख बदल कर रख दिया।
कैप्टन असलंका की भूमिका:
निसांका के रहते हुए भी मैच पूरी तरह से श्रीलंका के फेवर में नहीं थे, जब कप्तान असलंका क्रीज पर आए उसके बाद निसांका और असलंका की जोड़ी ने कमाल ही कर दिया असलंका ने अकेले ही 61 गेंदों में 71 रन बनाए और तेज पारी खेली जिसने पूरी टीम को प्रोत्साहित किया और उसके बाद उन्हें जीत का रास्ता दिखने लगा। असलंका की बल्लेबाजी में आत्मविश्वास और आक्रामकता का मिश्रण साफ तौर पर देखने को मिल रहा था।
मैच के बाद की रेटिंग क्या रही?
श्रीलंका में आतिहासिक जीत के बाद उनके कप्तान ने कहा कि “इस मैच में नतीजे की पारी ने हमें एक मजबूत स्थिति दी, जब 2 विकेट खाने के बाद जब टीम पर दबाव था तब नतीजे ने अपने समझ से प्रेरित होने के लिए बहुत धैर्य रखा, मैच खेला और एक रन ने टीम को मजबूत स्थिति में ले लिया”
वही ज़िम्बाब्वे के कप्तान ने निराश के प्रसन्ना में कहा कि “हम ने रन तो अच्छे बनाए थे पर निसा ने मैच के पारखा और अपनी रणनीति से टीम को एक यादगार जीत दिलाई”
आंकड़ों की नजर से
- पथुम निसांका: 122 रन (136 गेंद, 16 चौके)
- चरिथ असलंका: 71 रन (61 गेंद, 7 चौके)
- बेन करेन (जिम्बाब्वे): 79 रन
- सिकंदर रज़ा: नाबाद 59 रन
- दुष्मंथा चमीरा: 3 विकेट
- रिचर्ड नगारवा और ब्रैड इवांस: 2-2 विकेट
निसांका ने इस पारी के साथ ही अपने 7वें शतक और लिस्ट-ए क्रिकेट में 4000 रन भी पूरे कर लिए हैं।
निष्कर्ष:
निसानका के हरारे स्टेडियम में 31 अगस्त को जो मैच हुआ वो सिर्फ एक मैच था, बाल्की क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक यादगार पल भी था। इस मैच में ना श्रीलंका ने ना केवल ये सीरीज अपने नाम की बाल्की निसांका की पारी ने इसे एक एडवेंचर मैच बना दिया।